Ayodhya Ram Mandir: श्रीराम के तीर से उत्पन्न हुई रामगंगा..। सुनिए मां सीता की प्यास की कहानी
रामगंगा की उत्पत्ति भगवान श्रीराम के तीर से हुई है, जो चमोली जिले के गैरसैंण क्षेत्र के दूधाताेली पर्वत से निकलकर कन्नौज में गंगा नदी के साथ मिलती है। रामगंगा मुरादाबाद से करीब 500 किलोमीटर चलकर गंगा में पहुंचने से पहले लाखों लोगों की प्यास भी बुझाती है।
एमएन जुयाल, मेहलचौरी के सामाजिक कार्यकर्ता और गैरसैंण के निवासी, कहते हैं कि रामगंगा भगवान श्रीराम और सीता माता से बहुत करीब है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम, सीता माता और लक्ष्मण चौबीस वर्षों के वनवास के दौरान सीता को प्यास लगी। श्रीराम और लक्ष्मण ने इस क्षेत्र में पानी की बहुत तलाश की, लेकिन कहीं नहीं मिला।
रामनाली के नाम से जाना जाने लगा
इसके बावजूद, वे पानी की तलाश में सीता माता के पास आए, लेकिन पानी नहीं मिला, जिससे सीता माता बहुत प्यासी हो गई। तब भगवान राम ने कृपा से तीर निकालकर पानी को जमीन पर छोड़ दिया। तभी वहां से पानी बह निकला। यही धारा आगे चलकर एक स्थायी धारा बन गई और इसे रामनाली कहा गया।
लोगों का विश्वास
श्रीराम का पशिणिक मंदिर भी यहीं है। मंदिर में राम नवमी और अन्य उत्सवों पर भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चित्र हैं। वर्तमान में भराड़ीसैंण और गैरसैंण के हजारों लोगों की प्यास बुझाने के लिए रामगंगा नदी पर बांध बनना है, जिसका भूगर्भीय सर्वेक्षण भी पूरा हो चुका है।