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संत निरंकारी सत्संग भवन में विशाल समागम: संतों के भावों में डूबा भक्ति पर्व

ऋषिकेश 14 जनवरी। भक्ति पर्व के अवसर पर संत निरंकारी सत्संग भवन गंगानगर में विशाल संत समागम का आयोजन किया गया। देहरादून के संयोजक महात्मा नरेश विरमानी ने सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज का पावन संदेश दिया। उन्होंने कहा कि प्रभु रजा में राजी रहना ही उत्तम भक्ति होती है। संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह ईश्वर की मर्जी से ही हो रहा है जब यह बात मान लेते हैं फिर किसी भी बात का विपरीत प्रभाव हमारे मन पर नहीं होता और मन किसी भी परिस्थिति में परेशान नहीं होता।
मनुष्य जन्म ईश्वर की जानकारी करके भक्ति करने के लिए प्राप्त हुआ है, लेकिन मनुष्य केवल माया की प्राप्ति में ही लगा रहता है इसीलिए जीवन में निरंतर दुख और कष्ट प्राप्त होते है।

केवल ब्रह्म ज्ञान के द्वारा ही ईश्वर की जानकारी होती है। इसके बाद इस आत्मा को बंधनों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
मनुष्य हैं तो मानवीय गुण भी जीवन में होने चाहिए और मानवीय गुण केवल सत्संग द्वारा ही प्राप्त किया जा सकते हैं जिससे यह जीवन तो सुंदर होता ही है औरों के लिए भी कल्याणकारी होता है।

नसीहत देते हुए कहा कि जीवन में अहंकार के कारण ही अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। भक्ति करने से अहंकार समाप्त होता है और समर्पण भाव जीवन में प्राप्त हो जाता है। परमात्मा के साथ नाता जोड़कर सत्संग सेवा सुमिरन द्वारा ही भक्ति प्राप्त की जा सकती है।

भक्ति पर्व पर महात्मा बहन बाला, बहन शीतल, हरदेव आदि ने अपने भाव व्यक्त किए एवं संयोजक महात्मा हरीश बांगा ने आए हुए महात्माओं का धन्यवाद प्रकट किया।